मैदा से बनी चीजें क्यों नहीं खानी चाहिए।

 हमारे रोज़मर्रा के खाने में कई ऐसी चीज़ें शामिल हैं जो स्वाद में तो बहुत अच्छी लगती हैं, लेकिन स्वास्थ्य के लिए उतनी ही नुकसानदायक होती हैं। उनमें से सबसे आम है – मैदा से बनी चीज़ें। चाहे वह समोसा हो, पकोड़ी हो, बर्गर-पिज़्ज़ा, ब्रेड, बिस्किट या फिर नूडल्स… लगभग हर जगह मैदा मौजूद है।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मैदा आखिर है क्या? यह शरीर के लिए इतना हानिकारक क्यों माना जाता है? और क्यों विशेषज्ञ लगातार कहते हैं कि मैदा से दूरी बनानी चाहिए?

इस ब्लॉग में हम इसी विषय पर गहराई से चर्चा करेंगे – मैदा क्या है, कैसे बनता है, इसका शरीर पर असर क्या पड़ता है, और इसे खाने से बचना क्यों ज़रूरी है। साथ ही हम यह भी देखेंगे कि मैदा के बेहतर विकल्प क्या हो सकते हैं।

1. मैदा क्या है?

मैदा दरअसल गेहूं से ही बनता है, लेकिन यह गेहूं का परिष्कृत रूप (Refined Form) है। गेहूं के दाने के तीन हिस्से होते हैं:

1. ब्रान (चोकर) – जिसमें फाइबर होता है।

2. जर्म (अंकुर) – जिसमें विटामिन, मिनरल्स और प्रोटीन होते हैं।

3. एंडोस्पर्म – जिसमें स्टार्च और थोड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है। 

जब गेहूं को पीसकर आटा बनाया जाता है तो इन तीनों हिस्सों का मिश्रण मिलता है। लेकिन मैदा बनाने की प्रक्रिया में ब्रान और जर्म को अलग कर दिया जाता है, और केवल एंडोस्पर्म बचता है। यही कारण है कि इसमें से फाइबर और पोषक तत्व लगभग खत्म हो जाते हैं। 

2. मैदा कैसे बनता है?

मैदा बनाने के लिए गेहूं को मिल में कई बार पीसा और छाना जाता है। इस प्रोसेस में:

गेहूं के दाने का चोकर और जर्म हटा दिया जाता है।

एंडोस्पर्म को बारीक पीसा जाता है और चमकदार सफेद बनाने के लिए केमिकल्स (जैसे बेंज़ॉयल पेरोक्साइड, क्लोरीन डाइऑक्साइड) का इस्तेमाल किया जाता है।

कई बार शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए इसमें ब्लीचिंग एजेंट और प्रिज़र्वेटिव्स भी डाले जाते हैं।

इस तरह जो मैदा हमें मिलता है, उसमें केवल कार्बोहाइड्रेट (स्टार्च) होता है, बाकी ज़रूरी पोषक तत्व लगभग गायब हो जाते हैं।

3. मैदा और गेहूं के आटे का अंतर

पहलू गेहूं का आटा मैदा

फाइबर बहुत अधिक लगभग नहीं

विटामिन और मिनरल्स मौजूद बहुत कम

पाचन धीरे-धीरे, भूख देर से लगती है जल्दी पचता है, भूख जल्दी लगती है

ब्लड शुगर पर असर नियंत्रित तुरंत शुगर बढ़ाता है

स्वास्थ्य प्रभाव फायदेमंद हानिकारक

4. मैदा खाने से शरीर पर असर

(i) पाचन तंत्र पर असर

मैदा फाइबर रहित होता है। जब हम इसे खाते हैं, तो यह पेट में चिपचिपा बन जाता है और कब्ज़ की समस्या पैदा करता है। लंबे समय तक खाने से पाचन बिगड़ने लगता है।

(ii) ब्लड शुगर और डायबिटीज

मैदा से बनी चीजें जल्दी पच जाती हैं और तुरंत ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा देती हैं। इससे इंसुलिन का स्तर तेजी से ऊपर जाता है और धीरे-धीरे शरीर डायबिटीज टाइप-2 की ओर बढ़ने लगता है।

(iii) मोटापा और पेट की चर्बी

क्योंकि मैदा जल्दी पचकर भूख जल्दी लगाता है, इसलिए बार-बार खाने की आदत बन जाती है। ऊपर से इसमें फाइबर नहीं होता, जिससे पेट भरा हुआ महसूस नहीं होता। यही वजह है कि मैदा मोटापा और पेट की चर्बी बढ़ाने में बड़ा योगदान देता है।

(iv) दिल की बीमारियाँ

मैदा से बनी चीजें शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) बढ़ाती हैं और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को घटाती हैं। इससे दिल की बीमारियों और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

(v) हड्डियों पर असर

मैदा एसिडिक नेचर का होता है। शरीर इस एसिडिटी को बैलेंस करने के लिए कैल्शियम का इस्तेमाल करता है, जिससे हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं।

(vi) त्वचा और बालों पर असर

मैदा से बनी चीजों का ज्यादा सेवन त्वचा को बेजान बनाता है, पिंपल्स और मुंहासे बढ़ाता है। साथ ही बाल झड़ने की समस्या भी बढ़ सकती है।

5. बच्चों पर असर

बच्चे अक्सर बिस्किट, पेस्ट्री, नूडल्स और पिज़्ज़ा जैसी चीजें ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन लगातार मैदा खाने से:

उनकी हड्डियाँ कमजोर हो सकती हैं।

मोटापा और डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।

पढ़ाई में ध्यान और एकाग्रता कम हो सकती है । 

6. महिलाओं पर असर

महिलाओं में मैदा से बनी चीजें ज़्यादा खाने से:

हार्मोनल असंतुलन हो सकता है।

पीरियड्स की अनियमितता बढ़ सकती है।

पीसीओडी/पीसीओएस जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं।

वजन और थायरॉइड की समस्या गंभीर हो सकती है।

7. बुजुर्गों पर असर

बुजुर्गों में मैदा का ज्यादा सेवन:

हड्डियों को और कमजोर करता है।

ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर बढ़ाता है।

पाचन को बिगाड़ देता है।

8. बाजार की चीजें और उनमें छुपा मैदा

आजकल बाजार में मिलने वाली ज्यादातर फास्ट फूड और स्नैक्स मैदा से ही बने होते हैं:

ब्रेड, बिस्किट, केक

नूडल्स, पास्ता, पिज़्ज़ा

समोसा, कचौड़ी, पराठे

पेस्ट्री, पफ्स, डोनट्स

ये सभी चीजें स्वादिष्ट होती हैं, लेकिन सेहत के लिए बेहद खतरनाक।

9. वैज्ञानिक दृष्टिकोण

कई शोधों में पाया गया है कि:

मैदा खाने से इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ता है।

यह वजन और ब्लड शुगर दोनों को तेजी से बढ़ाता है।

WHO और कई न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स को डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम का बड़ा कारण माना जाता है।

10. हेल्दी विकल्प

अगर आप हेल्दी रहना चाहते हैं, तो मैदा छोड़कर इन विकल्पों को अपनाएँ:

1. गेहूं का आटा – सबसे आसान और हेल्दी विकल्प।

2. मल्टीग्रेन आटा – गेहूं + ज्वार + बाजरा + चना + रागी।

3. ओट्स – फाइबर से भरपूर, वजन घटाने में मददगार।

4. रागी, बाजरा और ज्वार – पोषण से भरपूर और पारंपरिक विकल्प।

5. कुट्टू और सिंघाड़ा आटा – खासकर व्रत में इस्तेमाल होने वाले हेल्दी विकल्प।

11. क्या करें और क्या न करें

✔️ हमेशा गेहूं या मल्टीग्रेन आटे की रोटी खाएँ।

✔️ फास्ट फूड और पैकेज्ड स्नैक्स को हफ्ते में 1–2 बार से ज्यादा न खाएँ।

✔️ बच्चों को घर का बना हेल्दी खाना दें।

✔️ पानी और फाइबर की मात्रा बढ़ाएँ।

❌ रोज़ाना बिस्किट, ब्रेड, नूडल्स या पिज़्ज़ा न खाएँ।

❌ पैकेज्ड फूड में ‘Refined Wheat Flour’ लिखा हो तो उससे बचें।

❌ मैदा को हेल्दी मानकर कभी भी नियमित डाइट का हिस्सा न बनाएं।

12. निष्कर्ष

मैदा हमारे खाने का हिस्सा तो बन चुका है, लेकिन यह धीरे-धीरे जहर की तरह शरीर को नुकसान पहुंचाता है। पाचन, वजन, शुगर, दिल, हड्डियाँ, त्वचा – कोई भी हिस्सा इससे अछूता नहीं रहता।

इसलिए अगर आप सच में सेहतमंद रहना चाहते हैं, तो आज से ही मैदा को अलविदा कहें और इसकी जगह अनाज, फाइबर और न्यूट्रिशन से भरपूर विकल्प अपनाएँ।

SwasthJeevanTips

"इस ब्लॉग का उद्देश्य है आपको सही, सरल और उपयोगी जानकारी देना,

और नया पुराने

संपर्क फ़ॉर्म